लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में क्या अंतर हैं ?

लैंगिक जननअलैंगिक जनन
प्रजनन में दो प्राणी भाग लेते हैं।प्रजनन में केवल एक ही प्राणी भाग लेता है।
इसमें प्रजनन इकाई युग्मक होते हैं।इसमें प्रजनन इकाई कलिका शरीर खण्ड आदि होते हैं।
जन्तुओं में शुक्राणु एवं अण्डाणु तथा पादपों में परागकण एवं अण्डप बनते हैं। इसमें युग्मकों का निर्माण नहीं होता है।
युग्मक संलयन होता है।युग्मक संलयन नहीं होता है।
सम-सूत्री तथा अर्द्धसूत्री दोनों प्रकार के विभाजन पाये जाते हैं।अलैंगिक प्रजनन सम-सूत्री विभाजन द्वारा होता है चाहे वह शरीर में ही हो या कोशिकाओं में।
सन्तान आनुवंशिक रूप से जनक से भिन्न होती है।सन्तान आनुवांशिक तथा संरचनात्मक रूप से जनक के समान ही होती है।
यह जैव विकास में सहायक होता है क्योंकि इसमें आनुवंशिक भिन्नताएँ होती है।यह जैव विकास में कम सहायक है क्योंकि इसमें आनुवंशिक भिन्नताएँ नहीं होती है।
इसमें प्रजनन की दर धीमी होती है।इसमें प्रजनन की दर बहुत तीव्र होती है।
इसमें जनक की जननिक कोशिकाएँ भाग लेती है।इसमें जनक की कायिक कोशिकाएँ भाग लेती हैं।
यह अधिकांशतः उच्च श्रेणी के के पौधों एवं जन्तुओं में होता है।यह अधिकांश पौधों, निम्न कशेरुकी एवं निम्न कॉर्डेट्स
में होता है।

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