ब्रह्मांड और पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई

हम जानते हैं कि तारों की दूरी का मापन प्रकाश वर्षों में किया जाता है। जिन तारों को आज हम देखते हैं, उनसे हम तक प्रकाश पहुँचने में लाखों वर्षों का समय लगा है। अत: हम एक प्रकार से तारों के रूप में भूतकाल को देख रहे हैं। ये तारे हमसे खरबों किलोमीटर दूर हैं तथा इनसे उत्सर्जित होने वाले प्रकाश को हम तक पहुँचने में लाखों वर्ष लगे हैं। इसी का परिणाम है कि आज हम इन्हें देख पा रहे हैं।

ऐबै लमैत्र (Abbe lamaitre) गैमौव (Gammow) एवं डिक (Dick) ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की बिग-बैंग परिकल्पना (Big Bang Hypoth esis) प्रस्तुत की। उनके अनुसार एक अतितप्त कॉस्मिक धूल का बादल था। इस बादल के कणों के बीच एक महाविस्फोट हुआ जिससे वर्तमान पदार्थ हाइड्रोजन व हीलियम गैस बनी। इन गैसों के ठण्डा होकर संघनित होने पर गैसों ने कई पिण्ड बनाये जिनसे आकाश गंगाओं का निर्माण हुआ, जिसमें उपस्थित चमकते पिण्ड तारे कहलाये। इसे अन्तरिक्ष विकास (Cosmic evolution) कहा गया। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति लगभग 20,000 करोड़ (200 बिलियन) वर्ष पूर्व हुई । ‘मिल्की वे’ नामक आकाश गंगा के सौर मण्डल में लगभग 450 करोड़ (4.5 बिलियन) वर्ष पूर्व पृथ्वी का निर्माण हुआ। पृथ्वी की प्रारम्भिक अवस्था में इस पर वायुमण्डल नहीं था परन्तु जैसे-जैसे पृथ्वी ठण्डी होती गई। उसके ठण्डे होन से जल, जल वाष्प, मीथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड एवं अमोनिया का निर्माण हुआ। सूर्य की पराबैंगनी किरणों ने पानी को तोड़ H व O2 को अलग कर दिया। O2 ने NH3 CH₄ के साथ मिलकर H2O, CO2 व अन्य गैसें बनायीं। धीरे-धीरे पृथ्वी के चारों ओर ओजौन स्तर व अन्य गैसों का निर्माण हुआ, धीरे-धीरे पृथ्वी के और ठण्डा होने पर जल वाष्प ने बरसात का रूप लिया जिसने गहरे स्थानों को महासागरों आ रूप दिया। यह माना जाता है कि पृथ्वी की उत्पत्ति के लगभग 50 करोड वर्ष बाद पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई यानी कि आज से लगभग 400 करोड वर्ष पूर्व।

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